कॉलेज...ये नाम जब भी हमारे जेहन के सुनहरे पर्दे पर उभर कर आता है, वैसे ही हमारे होंठों पर एक बेसाख्ता मुस्कान आ ही जाती है. कॉलेज के उन दिनों को याद करके शायद ही कोई होगा जिसकी आंखों में उन दिनों की बेफ्रिक्री को दोबारा जीने की ललक ना दिखती हो.
कॉलेज का वो First Day
कॉलेज का पहला दिन कौन भूल सकता है. स्कूल के बाद घर से मिली आजादी की खुशी मनाने का दिन जो था. उस दिन कॉलेज की ओर बढ़ने वाला हमारा हर कदम दिल की धड़कन और भी बढ़ा देता था
कॉलेज की वह First Class
उफ...वो भी क्या दिन था. नए नए चेहरों के बीच उस दिन जिंदगी बड़ी अकेली लग रही थी. लेकिन ये नहीं पता था कि आने वाले कुछ दिनों में ये सारे चेहरे ही हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन जाएंगे. पहली क्लास अटेंड करने से ज्यादा लड़कों का फोकस इस बात पर था कि क्लास में लड़कियां कितनी हैं, रेशियो के हिसाब से. हालांकि पहले दिन इससे ज्यादा रिसर्च करने की हिम्मत भी नहीं थी.
कॉलेज की वो First crush
कॉलेज की First Crush जिसे देखने के बाद पहली बार फिल्मों की तरह पीछे से वायलन की आवाज सुनाई दी थी हमें. सब कुछ यशराज फिल्म्स की रोमांटिक फिल्म की तरह हो रहा था. उसकी सफेद सलवार सूट और लाल दुपट्टा आज भी कई बार यादों के झोंके के साथ हमारे दिल को छू जाता है.
कॉलेज का वो Hostel
एक ऐसी जगह जहां हम रात को जगते थे और सुबह 10 बजे तक सोते थे. पहली क्लास तो कई बार छूटी होगी. एक रूम में इकट्ठे होकर गिटार की धुन पर नाचना, गुनगुनाना. वहां गुजारी हर रात आज भी जेहन में मौजूद है.
Xerox मशीन
कॉलेज के दिनों में सबसे ज्यादा पैसे इसी पर खर्च हुए हैं. अरे बाबा, नोट्स जेरॉक्स कराने में. लड़कियों के लाइब्रेरी जाने का सबसे बड़ा फायदा ये था कि वो हर सब्जेक्ट का प्वाइंट टू प्वाइंट नोट्स बना लेती थीं और लड़के उसका जेरॉक्स करा कर अपना कीमती समय बचा लेते थे.
दोस्तों की Birthday Party
भाई साब..असल सेलिब्रेशन तो इसी दिन होता था. भले आज जन्मदिन पर बम पर लात मारने वालों की संख्या कम हो गई हो लेकिन उन दिनों जन्मदिन पर इतने लात पड़ते थे कि दो दिन तक बैठना मुश्किल हो जाता था. दोस्तों का हमसे छुपाकर केक लाना और फिर ठीक रात 12 बजे पूरे मोहल्ले में सिर्फ हमारी ही आवाज गूजंना.
चलिए जी...बहुत याद कर लिया आपने अपने कॉलेज के दिनों को. अब इस पन्ने को Minimize कीजिए और लग जाइए अपने काम पर...
#iamskm
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